रविवार, 18 मार्च 2018

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यादें वहीं खडी रह जाती हैं 
 रूके रास्तों की तरह
 गुज़र जाते हैं खूबसूरत लम्हें
 यूं ही मुसाफिरों की तरह
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ये शमा और भी हसीं हो जाता, 
गर तेरे हो जाते  हम....
एक गीत हम भी लिख देते 
गर तेरे अल्फाज़ो में घुल जाते हम...

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