बुधवार, 1 अगस्त 2018

rang-roop

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  मेरे मोहब्बत के रंग रूप को सवार दो...
  मेरे गम के छाँव  धुप में भी बहार दो...

  एक अरसा हो गया है,चेहरे के नूर को गए...
  आ जाओ,आ के उस गुमे नूर को निखार दो...   

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